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इस केंद्र के अंतर्गत निम्‍नलिखित पाठ्यक्रम संचालित हैं :-

1. एम.ए. बौद्ध–अध्‍ययन
हिंदी में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बौद्ध अध्‍ययन को विस्‍तार देने की दृष्टि से एम.ए. बौद्ध अध्‍ययन में दो वर्षीय पाठ्यक्रम सत्र 2009-2010 से चलाया जा रहा है। जो 14 प्रश्‍नपत्रों और एक परियोजना शोधकार्य व मौखिकी के साथ चार सेमिस्‍टर में पूरा होता है, जो 64 क्रेडिट का है। इसके साथ ही किसी एक भारतीय अथवा विदेशी भाषा में सर्टिफिकेट/डिप्‍लोमा करना और  आज के तकनीकी युग को दृष्टिगत रखते हुए कंप्‍यूटर का अध्‍ययन भी अनिवार्य है, जो प्रत्‍येक छमाही में 2 क्रेडिट का है। एम.ए. बौद्ध अध्‍ययन में कुल 28 सीटें हैं।
      योग्‍यता: किसी भी अनुशासन में न्‍यूनतम 40% अंकों के साथ किसी मान्‍यता प्राप्‍त विश्‍वविद्यालय से स्‍नातक (10+2+3 पाठ्यक्रम) परीक्षा उत्तीर्ण। (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 35% अंक)
2. बौद्ध अध्‍ययन में स्‍नातकोत्तर डिप्‍लोमा
यह पाठयक्रम सत्र 2008-2009 में आरंभ हुआ, जो इस केंद्र का सबसे पहला पाठ्यक्रम है। जो अभ्यर्थी बौद्ध अध्‍ययन में रूचि रखते हैं लेकिन दूसरे पाठ्यक्रमों के भी नियमित छात्र हैं अथवा जो लोग सरकारी या गैरसरकारी संस्‍थानों में कार्यरत हैं, उनको विशेषरूप से ध्‍यान में रखकर यह अंशकालिक पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है। इसकी कक्षाऍ प्राय: सायंकाल में ही संचालित की जाती हैं।
अवधि: यह एक वर्षीय अंशकालिक पाठ्यक्रम है, जो पाँच प्रश्‍नपत्र और एक परियोजना शोधकार्य व मौखिकी के साथ पूरा होता है।
योग्‍यता: किसी भी विषय में स्‍नातक परीक्षा उत्तीर्ण।
3. पालि भाषा एवं साहित्‍य में स्‍नातकोत्तर डिप्‍लोमा
यह पाठयक्रम सत्र 2010-2011 में आरंभ हुआ। जो लोग पालि भाषा एवं साहित्‍य के प्रति जिज्ञासु हैं और वे उसको जानना एवं सीखना चाहते हैं लेकिन दूसरे पाठ्यक्रमों में भी अध्ययनरत हैं अथवा जो लोग सरकारी या गैरसरकारी संस्‍थानों में कार्यरत हैं, उनको विशेषरूप से ध्‍यान में रखकर यह अंशकालिक पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है। इसकी कक्षाएँ सांयकाल में संचालित की जाती हैं।
अवधि: यह एक वर्षीय अंशकालिक पाठ्यक्रम है, जो पॉंच प्रश्‍नपत्र और एक परियोजना शोधकार्य व मौखिकी परीक्षा के साथ पूरा होता है।
योग्‍यता: किसी भी विषय में स्‍नातक परीक्षा उत्तीर्ण।
4. बौद्ध पर्यटन एवं गाइडिंग में स्‍नातकोत्तर डिप्‍लोमा  
आज पूरी दुनिया में पर्यटन एक उभरता हुआ व्‍यवसाय है, कई देशों की अर्थव्‍यवस्‍था एवं आय का साधन पर्यटन उद्योग ही है। प्राचीनकाल से ही संसार के अनेक देशों के लिए भारत का बौद्ध धम्‍म और उससे जुड़े ऐतिहासिक स्‍थल सदैव आकर्षण व भ्रमण का केंद्र रहें हैं। भारत में बौद्ध पर्यटन की व्‍यापक संभावनाओं को ध्‍यान में रखकर, यह रोजगारपरक पाठयक्रम सत्र 2011-2012 से आरंभ किया गया है। क्‍योंकि आज हम देखते हैं कि पुरातत्‍व महत्‍व के बौद्ध स्‍थलों पर प्रशिक्षित मार्गदर्शक, टूर आपरेटर व गाईड का अभाव है। इस दृष्टि से यह पाठयक्रम व्‍यापक रूप से रोजगार के अवसर भी उपलब्‍ध करायेगा। जो लोग बौद्ध पर्यटन एवं गाइडिंग में रूचि रखते हैं अथवा जो सरकारी या गैरसरकारी संस्‍थानों में कार्यरत हैं, उनको विशेषरूप से ध्‍यान में रखकर यह अंशकालिक पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है। इसकी कक्षाऍ सांयकाल में संचालित की जाती हैं।
अवधि: यह एक वर्षीय अंशकालिक पाठ्यक्रम है, जो पॉंच प्रश्‍नपत्र और एक परियोजना शोधकार्य व मौखिकी परीक्षा के साथ पूरा होता है।
योग्‍यता: किसी भी विषय में स्‍नातक परीक्षा उत्तीर्ण।
5. तिब्‍बती भाषा एवं तिब्‍बती बौद्ध धर्म में स्‍नातकोत्तर डिप्‍लोमा
यह पाठयक्रम सत्र 2011-2012 में आरंभ हुआ है। प्राचीन बौद्धकाल से ही भारत के तिब्‍बत के साथ बहुत ही प्रगाढ़ सांस्‍कृतिक संबंध रहें हैं। आज भी बहुत सारा बौद्ध साहित्‍य तिब्‍बती भाषा से हिंदी में अनूदित होना बाकी है, यदि यह संभव हो जाये तो प्राचीन भारत की बहुत सारी ऐतिहासिक व सामाजिक शोध सामग्रियों का विपुल भंडार हमारे समक्ष होगा, जो कई नवीन शोध जानकारियों का स्‍त्रोत उपलब्‍ध करायेगा। इस दृष्टिकोण से यह पाठ्यक्रम बेहद उपयोगी भूमिका निभाएगा। इसलिए जो लोग इसमें रूचि रखते हैं, लेकिन दूसरे पाठ्यक्रमों के भी नियामित छात्र हैं तथा जो लोग सरकारी या गैरसरकारी संस्‍थानों में कार्यरत हैं, उनको भी विशेषरूप से ध्‍यान में रखकर यह अंशकालिक पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है। इसकी कक्षाएँ सांयकाल में संचालित की जाती हैं।
अवधि: यह एक वर्षीय अंशकालिक पाठ्यक्रम है, जो पॉंच प्रश्‍नपत्र और एक परियोजना शोधकार्य व मौखिकी परीक्षा के साथ पूरा होता है।
योग्‍यता: किसी भी विषय में स्‍नातक परीक्षा उत्तीर्ण।
6. एम.फिल. बौद्ध अध्‍ययन
      यह पाठ्यक्रम एक वर्ष का है, जो दो छमाहियों में पूरा होता है। पहली छमाही में दो प्रश्‍नपत्र होंगे और एक टर्म पेपर व सेमीनार पेपर प्रस्तुत करना होगा। दूसरी छमाही में एक लघु शोध प्रबंध लिखना होगा और एक मौखिकी भी ली जाएगी। पूरा पाठ्यक्रम 28 क्रेडिट का है। पहली छमाही में दो प्रश्‍नपत्र, टर्म पेपर व सेमीनार पेपर 18 क्रेडिट के होंगे और दूसरी छमाही में लघु शोध प्रबंध 8 क्रेडिट का और मौखिकी 2 क्रेडिट की होगी।
योग्‍यता: किसी भी मान्‍यता प्राप्‍त विश्‍वविद्यालय से न्‍यूनतम 55%अंको सहित बौद्ध अध्‍ययन/पालि में स्‍नातकोत्तर उपाधि उत्तीर्ण(अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अभ्‍यर्थियों हेतु न्‍यूनतम 50% अंकों सहित उत्तीर्ण)
वांछनीय: बौद्ध अध्‍ययन/ पालि में जे.आर.एफ./नेट/समकक्ष राष्‍ट्रीय परीक्षा उत्तीर्ण अभ्‍यार्थियों को वरीयता दी जाएगी।
7. पी-एच.डी. बौद्ध अध्‍ययन
विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (एम.फिल./पी-एच.डी.) उपाधि के लिए न्‍यूनतम मानक एवं प्रक्रिया विनियम, 2009 के अनुसार यह पाठ्यक्रम संचालित है।
योग्‍यता: किसी भी मान्‍यता प्राप्‍त विश्‍वविद्यालय से न्‍यूनतम 55%अंको सहित बौद्ध अध्‍ययन/पालि में स्‍नातकोत्तर उपाधि उत्तीर्ण (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अभ्‍यर्थियों हेतु न्‍यूनतम 50% अंको सहित उत्तीर्ण)
वांछनीय: बौद्ध अध्‍ययन/पालि में एम.फिल./जे.आर.एफ./नेट/समकक्ष राष्‍ट्रीय परीक्षा उत्तीर्ण अभ्‍यार्थियों को वरीयता दी जाएगी। अभ्‍यर्थी आवेदनपत्र के साथ भेजने वाले शोधप्रारूप (Synopsis) में एकरूपता लाने के लिए डॉ. भदन्‍त आनद कौसल्‍यायन बौद्ध अध्‍ययन केन्‍द्र की वेबसाइट http://buddhiststudiescenter.webs.com/ से सहायता लेने का कष्‍ट करेंगे, निर्धारित मानक के अनुसार बनाये गये शोधप्रारूप ही स्वीकार किये जायेंगे, अस्पष्ट शोधप्रारूप व अपूर्ण आवेदनपत्र अमान्य होगा। जो अभ्‍यर्थी एम.ए. के बाद सीधे पी-एच.डी. में प्रवेश लेंगे उन्‍हें एक छमाही का कोर्स वर्क करना अनिवार्य होगा। 

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